ज़िंदगी चलती रहेगी
डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ’अरुण’मनमीत! सच है मौत लेकिन, ज़िंदगी चलती रहेगी
वक़्त कितना भी कठिन हो, ज़िंदगी हँसती रहेगी
जो भी जिए औरों की ख़ातिर, याद बन कर हैं अमर,
ख़ुदगर्ज़ लेंगे साँस लेकिन, ज़िंदगी खलती रहेगी
अंधियार झेलेंगे सदा वे, जो रोशनी से हैं ख़फ़ा,
पूजेंगे जो उजियार उन की, ज़िंदगी फलती रहेगी
अब लाख आएँ आँधियाँ, रोकें कदम तूफ़ान भी,
इक लगन की मशाल बन के, ज़िंदगी जलती रहेगी
ये कदम बढ़ते रहेंगे, और मंज़िलों तक जाएँगे,
सच के साँचे में 'अरुण' ये, ज़िंदगी ढलती रहेगी