मम्मी मेरा बैग मँगा दो
डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ’अरुण’मम्मी मेरा बैग मँगा दो,
स्कूल में पढ़ने जाऊँगा!
मिक्कू दीदी रोज़ सबेरे,
बस से अपने स्कूल में जाती!
मैं ही घर में एता रहता,
मुझको तुम क्यों नही पढाती!!
लगा के टाई, बूट पहन के,
मैं भी बाऊ बन जाऊँगा!
रंग-बिरंगी प्यारी-प्यारी,
पोयम की बुक मंगवादों!
पोयम तुम्हे सुनाऊंगा मैं,
याद मुझे भी करवा दो!!
पढ़के मोटी-मोटी पोथी,
पापा जैसा मैं बन जाऊँगा!!
मम्मी बोली, मेरे राजा,
बड़े जरा तुम हो जाओ!
प्यारी सी बुक भी ला दूँगी,
बिल्कुल ना तुम घबराओ!!
मम्मी! मुझको दूध पिलाओ,
फिरतो बड़ा मैं बन जाऊँगा!!