मुक्त हृदय की बातें

01-03-2022

मुक्त हृदय की बातें

डॉ. अंकेश अनन्त पाण्डेय (अंक: 200, मार्च प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

ये मुक्त हृदय की बातें हैं
तुमसे न हो पायेंगी! 
 
स्वर्ण शिखर पर बैठे बैठे
सिक्के गिनने वालों से 
ओस भरी रातों मेंं तारों की 
गिनती न हो पाएगी
 
ये मुक्त हृदय की बातें हैं
तुमसे न हो पायेंगी! 
 
कैलाशी हिमशिखरों पर
विचरित मुक्त परिंदों से
उड़ना न सीख सके कोई
ऐसी अव्यक्त कहानी की, यादों मेंं
गिनती न हो पाएगी
 
ये मुक्त हृदय की बातें हैं
तुमसे न हो पायेंगी! 
 
उस ओर कभी जाना हो तो 
दिल ही में कुछ ठाना हो तो
निकलो अपने ही सांचे से
मुख मोड़ लो सारी बातों से
सही ग़लत के पार ही जाके
अपनी परछाईं दिख पाएगी
 
ये मुक्त हृदय की बातें हैं
तुमसे न हो पायेंगी! 
 
ये बड़ी विचित्र सत्ता है
नेत्र परे करती है सब जो
न्याय तराजू ले कर बैठी
आँख खुली रखती है वो
इसका सामर्थ्य परे सभी के
कभी किसी पैमाने से
नाप नहीं हो पाएगी
 
ये मुक्त हृदय की बातें हैं
तुमसे न हो पायेंगी! 

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