यह सुबह की बात है

15-02-2022

यह सुबह की बात है

मुकेश बोहरा ’अमन’ (अंक: 199, फरवरी द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

आज दिन में रात है, यह सुबह की बात है। 
कुर्सियों की ताक में, स्वार्थ की शुरूआत है॥
 
मतलबी, मौक़ा-परस्ती, आदमी की जात है। 
झूठ और पाखंड की, ज़िन्दगी बारात है॥
 
क़ौम के न काज के ये, पीढ़ियों पर घात है। 
पद पिताजी बन रहे, कुर्सियाँ सब मात है॥
 
चंद सिक्कों का सहारा, झूठ की औक़ात है। 
कल उगेगा ये भरोसा, सब तुम्हारे हाथ है॥
 
झूठ आख़िर झूठ होगा, सौ टका सही बात है। 
सत्य का डंका बजेगा, सच अमन के साथ है॥

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