कुदरत के उपहार
मुकेश बोहरा ’अमन’भँवरे, तितली, कलियाँ, उपवन,
फूलों के सब उपहार।
चाँद-सितारे, प्यारे सारे,
कुदरत के उपहार॥1॥
रंग-बिरंगी धरती प्यारी,
रंग भरे त्योहार।
स्वप्न सलोने, खेल-खिलौने,
होते यहाँ साकार॥2॥
गीत, मीत, संगीत सुहाने,
बालमनों को प्यार।
सबको सुख के प्यारे-प्यारे,
मिलते है उपहार॥3॥
1 टिप्पणियाँ
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Nicy and so sweet kavi and my brother and father and guru