दिल मिलाकर देखिए
मुकेश बोहरा ’अमन’दूरियाँ टूटेंगी आख़िर।
दिल मिला कर देखिए॥
रास्ते सारे खुलेंगें,
हाथ मिला कर देखिए॥1॥
बात से ही बात बनती,
बात से मुलाक़ात बनती।
ग़ैर से एक बात का तुम,
हौसला कर देखिए॥2॥
बेड़ियाँ दिल की सभी फिर,
टूट कर पाँवों गिरेगी।
एक बार बस एक बार तुम,
खिलखिला कर देखिए॥3॥
अब अँधेरे नहीं टिकेंगें,
दीप के त्यौहार आगे।
मन ही मन में दीप सुन्दर,
झिलमिला कर देखिए॥4॥
मेहँदी रंग लायेगी वो,
हाथ पर जम जायेगी वो।
दोस्ती का, प्यार का तुम,
सिलसिला कर देखिए॥5॥
छोड़िए सब तामझाम और,
दिल पर आए बोझ सारे।
‘अमन’ बनेगा दोस्ताना,
हौसला कर देखिए॥6॥