यह काग़ज़
हेमंत गोविंद जोगलेकरमराठी कविता: हा कागद
मूल कवि: हेमंत गोविंद जोगलेकर
अनुवाद: हेमंत गोविंद जोगलेकर
ये काग़ज़ नहीं, पंछी है आकाश में उड़ान भरते हुए
ये आकाश नहीं, टहनी है फूलों की पंक्तियों से लदी हुई
ये फूल नहीं, चाँदनियाँ हैं पल्लू पर जड़ी हुईं
ये पल्लू नहीं, तुम ही हो मेरे हाथ आयी हुई
ये तुम नहीं कविता है, पल्लू भर हाथ में छोड़ हवा हुई