उँगली तो थमाओ दोस्त
डॉ. रामवृक्ष सिंहतोड़कर दिल यूँ न जाओ दोस्त
ख़ुद को थोड़ा आज़माओ दोस्त
सैकड़ों रातों का माँ का प्यार
बाप के काँधे टपकती लार।
लोरियाँ वे याद कर सो लो
किन्तु यूँ घर से न जाओ दोस्त॥
ज़िन्दगी हर साँस में संघर्ष
जो लड़ा उसका हुआ उत्कर्ष
धैर्य तुम फिर से जुटाओ दोस्त॥
तुम जियोगे लो अगर तुम ठान
आत्मबल का नित करो संधान
आओ, उँगली तो थमाओ दोस्त॥
तोड़कर दिल यूँ न जाओ दोस्त॥