बुरे निकले हो तुम तो यार
डॉ. रामवृक्ष सिंहकुटिल करोना बहुत बुरे निकले हो तुम तो यार
चुपके से आकर कर डाला बड़ा भयानक वार
जब तक ख़बर किसी को होती चुक जाती है जंग
साँस उखड़ने लग जाती कर शिथिल अंग-प्रत्यंग
नहीं सिखाई धर्मयुद्ध की तुम्हें किसी ने रीत
वरना यूँ इकतरफ़ा कैसे पा जाते तुम जीत
शंख बजाकर तनिक हमें भी कर देते आगाह
लड़कर जान गँवाते हम भी या तजते यह राह
अब तो सूझ नहीं पाता कुछ बड़ा किया अपघात
दुष्ट करोना, मानवता पर किया वज्र का पात
चलो देखते हैं कैसे अब करें तुम्हें निर्मूल
हमें पता है प्रतिविष से कटता है विष का शूल
ऋषि दधीचि की परंपरा से हमें है इसका ज्ञान
मार ही डालेंगे तुमको यदि करें स्वत्व सब दान
अभी कमर कसकर आते हैं करने दो-दो हाथ
दुष्ट करोना, देखें सारथि कौन तुम्हारे साथ
रथ पर हैं आरूढ़ हमारे ब्रह्मा विष्णु महेश
जगदम्बा ने भी धारण कर लिया है चण्डी वेश
अब तुम नहीं बचोगे पापी, निकट तुम्हारा अंत
मानवता के विजय-गान से गूँजे दिशा-दिगंत