तुम और मैं

01-02-2024

तुम और मैं

चंद्र मोहन किस्कू  (अंक: 246, फरवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

तुम्हारे आसमान पर 
ठंडी स्निग्ध पूर्णिमा का प्रकाश 
मेरी आसमान पर 
पुआल की झोंपड़ी और घना अँधेरा 
तुम्हारे आँखों में 
मीठे सपनों का मेला 
मेरी आँखों में 
डस्टबिन का अवशिष्ट भोजन 
और आँखों में आँसू
तुम ख़ुशी से 
खिलौना तोड़ते हो 
मेरी तो ग़ुस्से से 
पीठ की चमड़ी उधड़ते हैं 
तुम्हें भोजन 
रुचता नहीं और 
मेरे पेट में 
आग जल रही है 
तुम्हारे पथ पर 
फूल बिछे रहते हैं 
और मेरे पैर में तो 
काँटे चुभते हैं। 

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