तेरी दावत में गर खाना नहीं था

15-08-2023

तेरी दावत में गर खाना नहीं था

डॉ. राकेश जोशी (अंक: 235, अगस्त द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222    1222    12
 
तेरी दावत में गर खाना नहीं था
तुझे तंबू भी लगवाना नहीं था
 
मेरा कुरता पुराना हो गया है 
मुझे महफ़िल में यूँ आना नहीं था
 
इमारत में लगा लेता उसे मैं
मुझे पत्थर से टकराना नहीं था
 
ये मेरा था सफ़र, मैंने चुना था
मुझे काँटों से घबराना नहीं था
 
समझ लेता मैं ख़ुद ही बात उसकी
मुझे उसको तो समझाना नहीं था
 
तुझे राजा बना देते कभी का
मगर अफ़सोस! तू काना नहीं था
 
छुपाते हम कहाँ पर आँसुओं को
वहाँ कोई भी तहख़ाना नहीं था
 
मुहब्बत तो इबादत थी किसी दिन
फ़क़त जी का ही बहलाना नहीं था
 
जहाँ पर युद्ध में शामिल थे सारे
वहाँ तुमको भी घबराना नहीं था

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