दीवारों से कान लगाकर बैठे हो

15-08-2023

दीवारों से कान लगाकर बैठे हो

डॉ. राकेश जोशी (अंक: 235, अगस्त द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेलुन फ़े
22     22     21   122      22     2
  
दीवारों से कान लगाकर बैठे हो 
पहरे पर दरबान लगाकर बैठे हो
 
इससे ज़्यादा क्या बेचोगे दुनिया को 
सारा तो सामान लगाकर बैठे हो
 
दुःख में डूबी आवाज़ें न सुन पाए 
ऐसा भी क्या ध्यान लगाकर बैठे हो
 
बेच रहा हूँ मैं तो अपने कुछ सपने 
तुम तो संविधान लगाकर बैठे हो
 
हमने तो गिन डाले हैं टूटे वादे
तुम केवल अनुमान लगाकर बैठे हो
 
अपने घर के दरवाज़े की तख़्ती पर 
अपनी झूठी शान लगाकर बैठे हो
 
ख़ूब अँधेरे में डूबे इन लोगों से 
सूरज का अरमान लगाकर बैठे हो
 
जूझ रही है कठिन सवालों से दुनिया 
तुम अब भी आसान लगाकर बैठे हो
 
कितने अच्छे हो तुम अपने बाहर से 
अच्छा-सा इंसान लगाकर बैठे हो

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