तब की बात
संजीव बख्शीतब की बात
कुछ और थी
एक कंकर को
हथेली पर
रख
उसने जब
खाई
पृथ्वी की कसम
सबने
उसकी हथेली पर
पृथ्वी को
रखी देखा था।