स्त्री का हक़ 

15-03-2025

स्त्री का हक़ 

पवन निषाद (अंक: 273, मार्च द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

युद्ध होगा
पुरुष शांत रहेंगे 
देश जलेगा
पुरुष शांत रहेंगे 
लोग मारे जाएँगे 
पुरुष शांत रहेंगे
पुरुष बोलेगा तब
जब स्त्री अपना हक़ माँगेगी 
 
स्त्री रो देती है
जब युद्ध होता है 
स्त्री रो देती है
जब देश जलता है 
स्त्री रो देती है
जब लोग मारते है 
स्त्री रो देती हैं
जब अपना हक़ लेने की बात आती है
  
हे स्त्री क्या तुम बस रोना सीखी हो 
नहीं! 
तुम्हें रोना नहीं
उन पितृसत्तात्मक समाज से लेना है 
अपना हक़ 
लेना नहीं बल्कि छीनना है तुम्हें। 
अपना हक़ 
हक़ से छीनना है। 

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