सभा

राजीव नामदेव ’राना लिधौरी’ (अंक: 267, दिसंबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

‘राना’ होवे जब सभा, चले ज्ञान की बात। 
सीखो समझो चार गुण, मानो सब सौग़ात॥
 
जहाँ सभा में आपके, स्वीकृत हों प्रस्ताव। 
अभिवादन ‘राना’ करो, हों विनम्र शुभ भाव॥
 
सभा देखते आजकल, मच जाता संग्राम। 
हैं प्रयोग कटु शब्द के, “राना’ नहीं विराम॥
 
सभा वही शालीन है, सुने परस्पर बात। 
आदर संग सत्कार की, “राना’हो सौग़ात॥
 
निर्णय करती जब सभा, बहुमत के प्रस्ताव। 
तब सबको स्वीकार हों, “राना’ सुंदर भाव॥

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