प्रतिबंध
अनिरुद्ध सिंह सेंगर
उस लड़की के हँसने भर से
तुम्हें हो जाता है ऐतराज़
या छिपा रहता है
तुम्हारे अंदर घिनौना कीड़ा
जो नहीं देख सकता
एक लड़की को हँसते हुए
तुम्हें अपने ऊपर नहीं रहा भरोसा इसलिये
शक की सूई तुम्हें सोने नहीं देती
तुम्हारी कमज़ोरी कोई जाने
तुम लगा देते हो आरोप
खिलते फूलों पर,
भूल जाते हो
हँसना जीवन की मौलिकता है
तुम्हारा वश चले तो तुम लगा दो प्रतिबंध
समूची हँसी पर
तुम लगा देते हो ताले
सिल देते हो होंठ मासूम लड़कियों के
उनका चहकना-फुदकना तुमने छीन लिया
वे तुम्हें कभी माफ़ नहीं करेंगी