इस सदी का बच्चा
अनिरुद्ध सिंह सेंगर
बच्चा खिलौने से खेलता
बोतल से पीता दूध
तरसता माँ के आँचल को
बच्चा
चाय की गुमठी में
धोता जूठे कप-गिलास
बालश्रम का उड़ाता उपहास
बच्चा
हाथ में लिये कटोरा
मुँह पर लिये याचना
हृदय में लिये वेदना
माँगता भीख
बच्चा
ऊँट दौड़ का हिस्सा
रोज़गार बन गया है
मनोरंजन का व्यापार बन गया है
बच्चा
जिसकी पीठ पर
बोझ बन गया बस्ता
बच्चे के पास
अब नहीं बची किलकारी
जिसमें ब्रह्माण्ड दिखता था
बच्चा
अब नहीं माँगता
खेलने के लिए चन्द्र खिलौना
चाँद में भी अब उसे दिखती है रोटी
बच्चा
हँसते हुए कँपता है
बच्चा
बच्चा होने से डरता है।