ओ सखा
तनु प्रिया चौधरीये दुनिया समझेगी ना
तुम हमारे लगते हो क्या
तुम हमारे वो सखा हो
तुम हमारी एक कविता हो
जिसमें विलीन
हम स्वयं हो गए
जिसे रच कर
हम स्वयं खो गए
तुम केवल शब्दों का
अर्थपूर्ण एक मेल नहीं
तुम प्रेमरूपी हो काया
रच कर तुम्हें ओ सखा
हमने स्वयं को जीवंत कवि बनाया।