मेरा नाम तुम लिखना
तनु प्रिया चौधरीहैं अभी विलग हम
पर मेरी इतनी बात तुम सुनना
कि बैठोगे जब कभी लिखने
तो मेरा नाम तुम लिखना
कि विलग होकर भी
मेरे लिए पैग़ाम तुम लिखना
कि मेरे भाव तुम लिखना
मेरी हर याद को शब्दों की छाँव में रखना
कि अंतर बस मीलों का रखना
मन में हर रोज़ मुझे गढ़ना
हाँ मिले नहीं अब तक हम
ना एक दूजे का नाम हैं जाना
कि फिर भी तुम हर रोज़ मुझे
निर्लज्ज की तरह तकना
प्रेम से कोई नाम भी रखना
कि जिसमें हो छवि तुम्हारी
और मेरा भाव भी गढ़ना
कि मिलेंगे जब कभी भी हम
तो हर क़िस्सा तुम मुझे प्रेम से कहना
कि फिर मैं उन्हें गुनगुनाऊँगी
और तुम बैठ कर सुनना
कि बैठोगे जब कभी लिखने
तो मेरा नाम तुम लिखना।