मेरी प्रेयसी
चंद्रभान सितारे
हरा भरा मन उपवन
तेरे मुख छवि किरणों से
प्रेम भाव के पुष्प खिलें
तेरे धरा सुन्दरी नैनन से
मधुर राग छेड़ता मलयज
तेरी बातों के सरगम से
रसपान कर बेसुध मधुप
तेरे रस भरे अधरों से
देख जिसे सुध बुध खोए
फिर कुछ भी सूझे नहीं
प्रेम लग्न की मधुर अग्न में
डूब, उसे कुछ बूझे नहीं
सहमी चाँदनी, भौचक्का चाँद
देख जिसे, बादल भी रुके नहीं
ऐसे प्रियतम को लिखने को
अब तो शब्द भी बचे नहीं