लगता है कहीं चुनाव है . . .
चंद्रभान सितारे
घबराए हुए बादल,
पलकें झुकाये हुए
रात, क्यों हैं?
रूठी हुई चाँदनी,
तो मुँह फुलाये हुए
चाँद, क्यों हैं?
नेताओं के चहरों पर भी
ऐसा ही भाव है;
ज़मीं पर भी आजकल
आसमानी प्रभाव है;
लगता है कहीं चुनाव है . . .