कुछ खेल बॉल के लिये ही खेले जाते हैं
डॉ. नेत्रपाल मलिक
बचपन में पिताजी
मेरे लिए एक बॉल लाये थे
बॉल की चर्चा
आस-पास के लड़कों तक भी
पहुँच गयी थी
वो आये थे अपना बल्ला लेकर
मेरे साथ खेलने
वो उम्र में मुझसे बड़े थे
उन्होंने मुझे
पहले बैटिंग करने को दी
मैं ख़ुश था और गौरान्वित भी
बड़े बच्चों ने भी
मुझे पहले बैटिंग दी
कुछ देर खेल के बाद
वो बॉल को झाड़ी में ढूढ़ने लगे
उन्होंने कहा ‘बॉल नहींं मिल रही‘
और वो चले गये
मुझे धुँधला सा याद है
बॉल उन्हें मिल गयी थी
इस बार भी
साथ-साथ खेले थे
कुछ परिचित चेहरे
अपनत्व ओढ़ कर
वो कह कर चले गये
’बॉल नहीं मिल रही’
उनकी विजयी मुस्कराहट पर लिखा था
कुछ खेल
बॉल के लिये ही खेले जाते हैं।