एक मकान हमारे अन्दर
डॉ. नेत्रपाल मलिक
हमारे घर में रखे कुछ सामानों, प्रतीकों
हृदयस्पर्शी घटनाओं
और भावमयी सम्बन्धों से जुड़ी स्मृतियों के
ईंट-गारों से चिना होता है हमारे अन्दर का मकान
उसमें सजे होते हैं कुछ चित्र
जो होते हैं हमारे साथ
हमारे अकेलेपन में
उसके दालानों में तैरती हैं कुछ आवाज़ें
जो बात करतीं हैं हमसे
हमारी चुप्पी में
उसके आँगन में चलते हैं कुछ पैर
जिन पर खड़े होते हैं हम
थक जाने पर भी
उसके अन्दर की टूटन
बाहर बुहारी नहीं जाती
उसकी नमी बह जाती है
हमारी पलकों की कोरों से
हम एक मकान में रहते हैं
और
एक मकान रहता है हमारे अन्दर
जीवन पर्यन्त, नितान्त व्यक्तिगत।