किसे बताऊँ?
संजीव ठाकुरकिसे बताऊँ
उसने
मेरे हृदय पर मूत दिया है?
कचरे की टोकरी
रख दी है
नाक पर!
मेरी कमज़ोरी तुम जानते हो
कृपा कर किसी को नहीं बताना –
मैं अव्वल दर्जे का पाजी हूँ
मेरे पास वह सब नहीं
जो ज़रूरी है जीने के लिए
आज की परिभाषा में!