गणतंत्र की दरकार है 

01-03-2023

गणतंत्र की दरकार है 

ईश कुमार गंगानिया (अंक: 224, मार्च प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

हमें मालूम है 
हमारा लोकतंत्र 
बहुमत का पैरोकार है 
मगर इससे हमारी
एक मामूली-सी तकरार है
तकरार क्या, छोटी सी गुहार है 
बहुमत के
सरदारों के दिमाग़ में
कोई झोल है, अगर
वे कोई भी 
गुल खिला सकते हैं
लोकतंत्र की चूलें हिला सकते हैं 
इसलिए हमें
लोकतंत्र के साथ
गणतंत्र की दरकार है
इसमें 
संविधान का शासन है
एक ज़बरदस्त अनुशासन है 
गणतंत्र में
संविधान सबसे ऊपर है
उसकी शक्ति सुपर-डुपर है
इसकी बदौलत शेर और बकरी 
एक घाट पर पानी पीते हैं
इसकी छत्रछाया में मरते हैं, जीते हैं। 

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