एक पीढ़ी के लिए 

15-09-2022

एक पीढ़ी के लिए 

सन्तोष कुमार प्रसाद (अंक: 213, सितम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

कल अचानक घर के छत के कोने मेंं
कुछ तिनके बिखरे देखे 
जो धीरे-धीरे घरौंदे का 
रूप ले रहे थे 
सोचा तिनकों को बिखराऊँ 
तभी चहचहाती गौरैया 
मेरे सामने आयी 
उसे बहुत दिनों बाद देखा था 
मन हर्षित हुआ 
अरे इसने अपने आपको बचा लिया 
उस विकिरणों से 
जो उनका अस्तित्व समाप्त करने आयीं थीं 
कुछ सालों से लगभग ग़ायब-सी हो गयी थी 
पर ये छोटी-मोटी बाधा भी उसका 
समूल नाश नहीं कर पायी थी 
कुछ साथी उसके भी छूटे होंगे 
पर मुँह में तिनका लिए आज 
भी तैयार थी एक पीढ़ी के लिए

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