एक गाँव था मेरा
पूनम चन्द्रा ’मनु’एक ख़ूबसूरत सा गाँव था मेरा
बिना रोशनी के रास्ते थे
शहर के गिद्धों ने दरख़्तों को काट कर
अपने आशियाने बना लिए
और मेरे परिंदों को बेघर कर दिया
अब वो पगडंडियाँ कहीं नहीं दिखती
कोई राह . . .
कहीं नहीं पहुँचती
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