आँखों में छुपा रखा है
पूनम चन्द्रा ’मनु’पतझड़ के मौसम में
बहारों को सजा रखा है
उसने एक ख़्वाब को
आँखों में छुपा रखा है
धुँध की चादर को
ख़ुद पर ओढ़ कर
उसने ख़ुद को
दुनिया से छुपा रखा है
कहीं सुन ले न कोई
कहने से
उसने कहानी को
किताबों में छुपा रखा है
पतझड़ के मौसम में
बहारों की सजा रखा है
उसने एक ख़्वाब
आँखों में छुपा रखा है