एक दीया जलायें

01-12-2022

एक दीया जलायें

शशि कांत श्रीवास्तव (अंक: 218, दिसंबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

आओ . . .! 
चलो . . ., 
चलें . . ., 
हम सब मिलकर 
एक दीया जलायें, 
मन में अपने, 
आशा और विश्वास का, 
और एक उम्मीद का, 
कि . . ., 
दूर होगा अँधेरा गगन का, 
जो-छाया हुआ है मन में 
हमारे, 
ढक रखा है उजाले को 
आग़ोश में अपने, 
वहीं धुँधली सी हो गई हैं 
रश्मियाँ चमकते हुए सूर्य की, 
आओ चलो चलें . . ., 
हम सब मिलकर, 
जलायें दीया एक उसके लिए, 
जो हो जायें नष्ट सदा के लिए 
इस जलते दीये की रोशनी में, 
छँट जाये अँधेरा सदा के लिए 
और एक नया सवेरा आ जाये, 
आओ चलो चलें हम सब मिलकर, 
जलायें दीया एक उसके लिए . . .॥

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