चौरानवे मिस्ड कॉल

15-08-2022

चौरानवे मिस्ड कॉल

डॉ. खेमकरण ‘सोमन’ (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

मोबाइल लगातार बज रहा था और घनश्याम कम्प्यूटर पर लगे हुए थे। उन्होंने परेशान होकर नम्बर देखा। ओह! फिर से रश्मि का फ़ोन! सुबह से दोपहर तक कितनी बार फ़ोन कर चुकी है। उन्होंने ग़ुस्से में कहा, “रश्मि, तुम समझती क्यों नहीं? यह गाँव-देहात का खेत खलिहान नहीं है जहाँ दो मिनट में घर आ गए। यह एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी है। यहाँ छुट्टियाँ यूँ ही नहीं मिल जातीं और इस समय काम भी बहुत ज़्यादा है। तो . . . ”

“प्लीज आप,” उधर से रश्मि उनकी बात काटकर बोली, “आप एक बार घर आ जाइए। माँ बार-बार आपको पुकार रही है।”

“अरे यार,” घनश्याम बिफर पड़े, “समझा चुका हूँ न! मैं बहुत बिज़ी हूँ। अगले सप्ताह से पहले नहीं आ सकूँगा।” इसके बाद उन्होंने फ़ोन काट दिया। 

दो घण्टे बाद फिर मोबाइल बजा। उन्होंने देखा इस बार भी फ़ोन उनकी पत्नी का था। उनका मन किया कि मोबाइल के टुकड़े-टुकड़े करके फेंक दें। लगा कि मोबाइल भी एक तरह से जीवन में ख़लल डालने वाली चीज़ व परेशानी का सबब है। उन्होंने मोबाइल दराज़ के अन्दर रख दिया और इत्मीनान से कम्प्यूटर से चिपक गए। 
रात के आठ बजे अपने रूम में पहुँचकर उन्होंने मोबाइल देखा। मोबाइल स्क्रीन देख वे बुरी तरह खीज उठे। चौरानवे मिस्ड कॉल। ओह! कॉल करने की भी कोई हद होती है। अभी वे कुर्सी पर बैठे ही थे कि एक बार फिर फिर से मोबाइल बज उठा। फ़ोन रश्मि का था। 

“क्या है!” उन्होंने फ़ोन रिसीव किया और झल्लाकर कहा, “माँ मर गई है क्या, जो जीने नहीं दे रही है!”

दूसरी ओर से रश्मि की आवाज़ नहीं निकल पाई। ओह! कैसे बताए, यही सच है। 

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