गगनचुम्बी इमारतें, 
चारों तरफ़ जगमग
प्रकाश है। 
पर मन के भीतर
तुम देखो मानव
कितना अंधकार है। 
 
दिन की रोशनी हो
चाहे हो सूर्य का
प्रकाश, 
मन के दीप
जबतक न जले
ये सब है अंधकार। 
 
प्रजज्वलित कर
दीप अन्तर्मन का
कलुषित विचार, 
को त्यागो, 
मन ज्योति से
रोशन कर
संसार से अंधकार
तुम मिटा दो। 

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