अक्स तुम्हारा
डॉ. सरस्वती माथुर1.
मोर है बोले
मेघ के पट जब
गगन खोले।
2.
वक़्त तकली
देर तक कातती
मन की सूई।
3.
यादों के हार
कौन टाँक के गया
मन के द्वार।
4.
अक्स तुम्हारा
याद आ गया जब
मन क्यों रोया?
5.
यादों से अब
मेरा बंधक मन
रिहाई माँगे।
6.
यादों की बाती
मन की चौखट को
रोशनी देती।
7.
साँझ होते ही
आकाश से उतरी
धूप चिरैया।
8.
धरा अँगना
चंचल बालक सी
चलती धूप।
9.
भोर की धूप
जल दर्पण देख
सजाती रूप।
10.
मेघ की बूँदें
धरा से मिल कर
मयूरी हुई।