आगे बढ़ना है
ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना'रुक तुम कभी नहीं सकते
तुमको तो आगे बढ़ना है
काँटे आस्तीन को खींच सकते हैं
सड़कें पथरीली हो सकती हैं
हज़ारों विपदाएँ आपके
मार्ग में बाधा डाल सकती हैं
फिर भी...
रुक तुम कभी नहीं सकते
तुमको तो आगे बढ़ना है।
रास्ते में गर्म हवा आपके
शरीर को झुलसा सकती है
तुम्हारे पक्के इरादे को बेजान
पत्तों -सा हिलाया जा सकता है
फिर भी...
रुक तुम कभी नहीं सकते
तुमको तो आगे बढ़ना है।
वैभव तुम्हें लुभा सकता है
प्रेम गुमराह कर सकता है
वासना अपने सर्वश्रेष्ठ भेष में
तुम्हें लुभाने आ सकती है
फिर भी…
रुक तुम कभी नहीं सकते
तुमको तो आगे बढ़ना है।
कभी-कभी ठंडी सर्द हवाएँ
तुम्हारे धैर्य का परीक्षण करेंगी
तुम्हारा मन भी भटक जाएगा
आगे की राह नज़र नहीं आएगी ।
फिर भी…
रुक तुम कभी नहीं सकते
तुमको तो आगे बढ़ना है।