वे पहाड़ हो गए हैं
संजीव बख्शीनापी जाती है
सड़क की ऊँचाई, किनारों से
उसके अपने किनारों से ।
ताज्जुब की बात नहीं
भूल गए हैं लोग
सड़क पर पैरों से चलना और
स्ड़क की ऊँचाई को महसूसना
इंसानी चहल-पहल से दूर
वे पहाड़ हो गए हैं
बात-बात में वे
समुद्र तल की चर्चा करते हैं ।