मुझे जंगली कहो
संजीव बख्शी
यहाँ के पक्षी पहाड़ी हैं
यहाँ के गीत
पहाड़ी हैं
यहाँ के लोग
पहाड़ी हैं
जाहिर है यहाँ सब ओर पहाड़ है
पहाड़ ही पहाड़
सब कुछ पहाड़ी है
मुझे जंगली कहो
मन को अच्छा लगेगा
मेरे आसपास के लोगों को कहो
’जंगली‘
ठिठको मत
मेरी कविताओं को
मेरी बातों को जंगली कहो
आँखें बंद कर लो
अब कहो ।