इश्क़ की शुरूआत

01-03-2024

इश्क़ की शुरूआत

पवन त्रिपाठी (अंक: 248, मार्च प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

इश्क़ की ख़्वाहिश

थोड़ी सी ख़ुशी दे के
थोड़े से ग़म लिए। 
अजनबी थे, हम पहले
मगर फिर हमदर्द बने। 
 
राहों में थी मुश्किलें 
ख़्वाहिशों में डूबे हैं सपने
रात चाँदनी सी पलकों पे
मगर फिर हम एक हसीन रात बने। 
 
दिल बातों के इंतज़ार में
सवाल ढूँढ़ रहा जवाब में
ख़्वाब थम गया इस जहां में
मगर फिर हम एक हक़ीक़त बने। 
 
अजनबी थे, हम पहले
मगर फिर हमदर्द बने। 

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