तुम याद आते हो 

01-01-2021

तुम याद आते हो 

चंद्र मोहन किस्कू  (अंक: 172, जनवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

बहुत याद आते हो 
जब
सूर्यकिरण
घर की छत से 
उतर कर 
खिड़की तक आती है 
और समतल धरती पर 
बहुत सारे चित्र बनाते हुए 
अनेक बहाने से 
तुम्हारा ही नाम लिख जाती है
एक दर्द 
छाती में उठता है 
तुम्हारी याद 
मुझे सताती है . . .
 
गोधूलि बेला में
जब गायों की पैरों से 
धूल उड़ती है 
आसमान में काले बादल
मँडराने लगते हैं 
पक्षी
घोंसले में लौटते हैं 
तब मेरी याद में 
तुम आती हो 
और छाती के 
एक कोने में 
मीठा दर्द होता है।

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