प्रवासी पसीना

15-06-2020

प्रवासी पसीना

सुमित दहिया (अंक: 158, जून द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

तुम्हारे गुथे गए पसीने से जुड़ी हैं 
इमारतों की ईंटे
जीडीपी के आँकड़े
और पासबुक की संख्या
तुम्हारी पलकों के झपकने से सरकता है
सेंसेक्स औऱ निफ़्टी
तुम्हारी देह की परछाई ने सबसे पहले किया था
सेठ जी के मधुर सपनों पर पलस्तर


लेकिन अब यह पसीना सड़कों पर बह रहा है 
कम हवा वाले टायरों पर उदास गृहस्थी ढोता हुआ
धीमी आवाज़ की घंटी पर गिर रहा है


मुझे डर है कहीं इतने लंबे सफर में
यह भूखा, प्यासा प्रवासी पसीना
सरकारी सड़कों में दरार न डाल दे।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें