पन्द्रह अगस्त नया सफ़हा
पूनम चन्द्रा ’मनु’आओ —
शहीदों की आख़िरी साँस से
निकलते अल्फ़ाज़ों को
सँभाल कर
अपने काँधों पर उठा लें . . .
ख़ुद को उनकी जगह पर रखकर . . .
ज़िन्दगी जीने का
वादा कर लें . . .
पंद्रह अगस्त
सिर्फ़ आज़ादी का दिन नहीं . . .
तरक़्क़ी की तरफ़ –
पलटने वाला वो "नया सफ़हा" है . . .
जिसपर कहानी . . .
हमें ख़ुद लिखनी है!
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