कोख में पलती बेटी बोली

03-05-2012

कोख में पलती बेटी बोली

डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ’अरुण’

कोख में पलती बेटी बोली,
मुझको मत मारो, अम्मा!
दोष मेरा क्या है बतला दो, 
सोचो और विचारों, अम्मा!!
 
बेटा क्या दे देगा तुमको,
जो मुझसे ना पाओगी?
सच कहती हूँ,मुझे मार कर,
जीवन भर पछताओगी!!
 
रक्त-मांस मुझ में भी उतना,
मुझको मत मारो, अम्मा!
जन्म मुझे ही ले लेने दो,
सोचो और विचारो,अम्मा!!
 
वंश चला सकती हूँ मैं भी,
कर सकती हूँ सारे काम!
बेटों से तो भले ही डूबे,
मैं तो चमकाऊँगी नाम!!
 
विद्योत्तमा बनूँगी मैं भी, 
मुझको मत मारो,अम्मा!
बेटी भी प्यारी होती है, 
सोचो और विचारों,अम्मा!!
 
अन्तरिक्ष में जब जाऊँगी,
यश देगी दुनिया सारी!
इसीलिये कहती हूँ तुमसे,
त्यागो अपनी लाचारी!!
 
बेटी से ही बनी हो माँ तुम,
मुझको मत मारो,अम्मा!
मुझसे ही सृष्टि चलनी है, 
सोचो और विचारो,अम्मा!!

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें