उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न
उज़्बेकिस्तान में एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न
बुधवार, दिनांक 18 सितंबर 2024 को लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद की शुरूआत सुबह 10 बजे हुई। परिसंवाद का मुख्य विषय था “उज़्बेकिस्तान में हिंदी: दशा और दिशा।” इस परिसंवाद के उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष के रूप में उज़्बेकिस्तान में भारत सरकार की राजदूत आदरणीय स्मिता पंत जी उपस्थित थीं। बीज वक्ता के रूप में वरिष्ठ हिंदी भाषाविद श्री बयोत रहमतोव और मुख्य अतिथि के रूप में ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ ओरिएंटल स्टडीज से डॉ. निलूफर खोजाएवा ऑनलाईन माध्यम से उपस्थित हुईं।
कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके हुई। लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद के कल्चरल डायरेक्टर श्री सीतेश कुमार जी ने स्वागत भाषण देते हुए केंद्र की आगामी योजनाओं की भी चर्चा की। प्रस्ताविकी परिसंवाद संयोजक के रूप में डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने प्रस्तुत करते हुए सत्र का संचालन भी किया। मुख्य अतिथि डॉ. निलुफर खोजाएवा जी ने आयोजन की सफलता के लिए बधाई देते हुए अपने संस्थान में हिंदी की गतिविधियों की जानकारी दी। बीज वक्ता के रूप में श्री बयोत रहमतोव जी ने विस्तार से उज़्बेकिस्तान में इंडियन डायसपोरा की चर्चा करते हुए भोलानाथ तिवारी के कार्यों को याद किया। इस अवसर पर परिसंवाद में प्रस्तुत शोध आलेखों की पुस्तक का लोकार्पण भी मान्यवर अतिथियों के द्वारा किया गया। इस पुस्तक का सम्पादन डॉ. मनीष कुमार मिश्रा एवं डॉ. निलुफ़र खोजाएवा जी ने किया। इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए प्राप्त शोध आलेखों में से कुल 30 शोध आलेखों को ISSN JOURNAL ( 2181-1784), 4(22), September 2024, www.oriens.uz के माध्यम से प्रकाशित किया गया है।
वरिष्ठ हिन्दी प्राध्यापिका डॉ. सादिकोवा मौजूदा काबिलोवना जी की पाठ्यक्रम केंद्रित पुस्तक का भी इस अवसर पर लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम में ऑन लाईन माध्यम से भारत समेत कई अन्य देशों के हिंदी विद्वान उत्साहपूर्वक जुड़े रहे। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में आदरणीय स्मिता पंत जी ने लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों की प्रशंसा की। हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु ऐसे आयोजनों की सार्थकता पर आप ने विस्तार से चर्चा करते हुए आगामी आयोजनों के लिए हर सम्भव सहायता का आश्वासन भी दिया। उज़्बेकिस्तान में जनवरी 2025 में हिन्दी ओलम्पियाड़ आयोजित करने की योजना पर भी आप ने प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम और द्वितीय चर्चा सत्र की शुरूआत हुई जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ हिंदी भाषाविद डॉ. सादिकोवा मौजूदा काबिलोवना जी ने की। इस सत्र में जिन विद्वानों ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किए उनमें शाहनाजा ताशतेमीरोवा, कमोला अखमेदोवा, प्रवीण कुमार, नेमातो युरादिल्ला, डॉ. उषा आलोक दुबे, तिलोवमुरोडोवा शम्सिक़मर, निकिता, डॉ. कमोला रहमतजनोवा, डॉ. हर्षा त्रिवेदी, श्रीमती नेहा राठी, डॉ. राजेश सरकार और प्रो. उल्फ़त मोहीबोवा जी शामिल रहीं। इनमें से कई विद्वान ऑन लाईन माध्यम से संगोष्ठी से जुड़े रहे। ऑन लाईन माध्यम से संगोष्ठी से जुड़े अन्य विद्वानों में डॉ. फ़तहुद दिनोवा इरोदा, युनूसोवा आदोलत, अखमदजान कासीमोव, डॉ. सिराजूद्दीन नुर्मातोव, संध्या सिलावट, डॉ. प्रियंका घिल्डियाल समेत अनेकों लोग देश-विदेश से शामिल थे।
दोपहर के भोजन के उपरांत तीसरे चर्चा सत्र की शुरूआत हुई। इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ हिन्दी भाषाविद श्री बयोत रहमतोव जी ने की। इस सत्र में जिन विद्वानों ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किए उनमें अज़ीज़ा योरमातोवा, जियाजोवा बेरनोरा मंसूर्वोना, मोतबार स्मतुलायवा, हिदायेव मिरवाहिद, खुर्रामो शुकरुल्लाह, डॉ. शिल्पा सिंह और डॉ. ठाकुर शिवलोचन शामिल रहे। इस सत्र में भी भारत से कई विद्वान ऑन लाइन माध्यम से प्रपत्र वाचक के रूप में जुड़े।
तीसरे सत्र के बाद समापन सत्र की शुरूआत हुई। प्रतिभागियों ने इस आयोजन के संदर्भ में खुलकर अपने विचार प्रकट किए। अंत में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृति केन्द्र, ताशकंद के कल्चरल डायरेक्टर श्री सीतेश कुमार जी के हाथों प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और शोध आलेखों की पुस्तक भेंट की गई। अंत में डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया और परिसंवाद समाप्ति की घोषणा की। इस तरह यह एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद सम्पन्न हुआ।