कुछ राब्ता है तुमसे—राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

09 Oct, 2025

कुछ राब्ता है तुमसे—राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

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कुछ राब्ता है तुमसे—राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

 

हैदराबाद, 8 अक्टूबर, 2025।

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के गच्ची बावली स्थित दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के हिंदी प्रभाग के तत्वावधान में, केंद्र के पुस्तकालय भवन में, प्रवीण प्रणव की सद्यःप्रकाशित समीक्षा-कृति ‘कुछ राब्ता है तुमसे’ का लोकार्पण समारोह एक-दिवसीय (हाइब्रिड मोड) राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ संपन्न हुआ। 

इस अवसर पर अरबा मींच विश्वविद्यालय (पूर्व अफ्रीका) के पूर्व आचार्य एवं समारोह के मुख्य वक्ता प्रो. गोपाल शर्मा ने विस्तार से ‘कुछ राब्ता है तुमसे’ के लेखकीय सरोकार और विश्व दृष्टि की पड़ताल करते हुए यह घोषित किया कि इसके भीतर सामाजिक परिवर्तन की कामना अंतर्निहित है और सलीक़े से सहेजे गए इसके 18 अध्याय पुराण-कथा के पाँचों लक्षणों से युक्त हैं। 

मणिपुर विश्वविद्यालय और महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य डॉ. देवराज ने ऑनलाइन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रवीण प्रणव की इस कृति का ताना-बाना बहुत ही बारीक़ है, जो केवल साहित्यिक मान-मूल्यों तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और लोक मानस के वर्तमान में प्रासंगिक बहुरंगी धागों से निर्मित है। 

लगातार सात घंटे तक चले संपूर्ण समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रतिष्ठित लेखिका डॉ. अहिल्या मिश्र ने लेखक प्रवीण प्रणव के साहित्यिक संस्कार की जड़ों की पड़ताल करते हुए भावविभोर होकर कहा कि उन्होंने गंभीरता से एक-एक साहित्यकार के समग्र साहित्य रूपी सागर की तह तक जाकर अपने पाठकों को सुंदर और बेशक़ीमती मोती लाकर दिए हैं। 

वीर बहादुर सिंह विश्वविद्यालय जौनपुर की पूर्व कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने किताब के निबंधों में संरचनात्मक स्पष्टता की बात करते हुए सुभद्रा कुमारी चौहान और महादेवी वर्मा से जुड़े आलेखों की चर्चा की। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस किताब का अगला भाग भी आना चाहिए जिससे पाठक कई और साहित्यकारों के विषय में सारगर्भित जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। 

चेक गणराज्य (यूरोप) स्थित प्राग से ऑनलाइन सम्मिलित प्रमुख मनोचिकित्सक एवं कवि डॉ. विनय कुमार ने लक्षित किया कि यह किताब विभिन्न कवियों की निजी ज़िन्दगी के रोचक प्रसंगों को इस तरह बयान करती है कि लेखक और पाठक के बीच सहज राब्ता क़ायम हो जाता है। उन्होंने इसके सभी अध्यायों को ऑडियो बुक के रूप में प्रसारित करने की ज़रूरत बताई, तो सम्भावना प्रकाशन के अभिषेक अग्रवाल ने लेखक की पूर्वग्रह-विहीनता को इस पुस्तक की बड़ी ताक़त बताया। 

चेन्नई से ऑनलाइन जुड़ीं डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने पुस्तक पर चर्चा का प्रवर्तन करते हुए ‘कुछ राब्ता है तुमसे’ को चर्चित 18 रचनाकारों की मार्मिक उक्तियों और लेखक प्रवीण प्रणव के सूत्रवाक्यों के संग्रहणीय कोश की संज्ञा दी। 

दिल्ली से ऑनलाइन जुड़े लेखक अवधेश कुमार सिन्हा ने कहा कि यह किताब प्रवीण प्रणव के विगत 10 वर्षों के अध्ययन का सार है तथा मुश्किल विषय को भी कहानी की शक्ल में परोसने की उनकी कला पाठकों से सीधा संवाद स्थापित करने में सहायक है। 

महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा की उपाचार्य डॉ. अनीता शुक्ल ने पुस्तक में शामिल तल्ख़ ग़ज़ल के दो पुरोधाओं दुष्यंत कुमार और अदम गोंडवी के बहाने प्रवीण प्रणव की सहज कथात्मक शैली पर चर्चा की। 

प्रसिद्ध कवि लाल्टू ने विशेषज्ञ टिप्पणी देते हुए इस बात को रेखांकित किया कि लेखक ने इस पुस्तक में तरह-तरह के तत्कालीन और समकालीन तनावों को उजागर करने का जोखिम कुछ इस तरह उठाया है कि किताब को पढ़ते हुए लेखक के साथ हम भी उन तनावों को दोबारा जीते हैं। 

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के सहायक कुलसचिव और संगोष्ठी के संयोजक डॉ. आफ़ताब आलम बेग़ ने पुस्तक की पठनीयता की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें शामिल जोश मलीहाबादी की गाथा हमें सिखाती है कि प्रवास केवल दूरी का नाम नहीं, बल्कि अस्वीकार्यता और पहचान के संकट का भी पर्याय होता है। 

आरंभ में समारोह के सूत्रधार प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने पुस्तक का सामान्य परिचय देते हुए बताया कि इसमें लेखक ने चंद्रधर शर्मा गुलेरी, भिखारी ठाकुर, जोश मलीहाबादी, सुभद्रा कुमारी चौहान, मखदूम मुहिउद्दीन, महादेवी वर्मा, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, नागार्जुन, गोपाल सिंह नेपाली, कैफी आज़मी, फणीश्वरनाथ रेणु, साहिर लुधियानवी, गोपाल दास नीरज, दुष्यंत कुमार, केदारनाथ सिंह, धूमिल, अदम गोंडवी और परवीन शाकिर जैसे हिंदी-उर्दू के कुल 18 साहित्यकारों के व्यक्तित्व और कृतित्व की, कथारस में भीगी जीवनीपरक आलोचना प्रस्तुत की है। 

संगोष्ठी के दोनों सत्रों में 25 विद्वान समीक्षकों ने अपने शोध पत्रों में विवेच्य पुस्तक का अलग-अलग नज़रिए से गहन विवेचन किया। डॉ. जमाल ख़ान, सुनीता लुल्ला, एफएम सलीम, वेणुगोपाल भट्टड़, रवि वैद, डॉ. इरशाद नैयर, डॉ. आशा मिश्र, डॉ. रेखा शर्मा, डॉ. रक्षा मेहता, डॉ. सुपर्णा मुखर्जी, डॉ. सुषमा देवी, डॉ. बी. बालाजी, शीला बालाजी, डॉ. अनिल लोखंडे, डॉ. वाजदा इशरत, लविका, कुशाग्र और किरण सिंह सहित सभी वक्ताओं ने लेखक को इस पुस्तक के दूसरे भाग के भी यथाशीघ्र प्रकाशन हेतु शुभकामनाएँ दीं। समारोह का सफल संचालन कवि-कथाकार रवि वैद ने किया।

• ऋषभदेव शर्मा, हैदराबाद। 

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