डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय द्वारा सम्पादित आलोचना ग्रन्थ ‘कथाकार दीप्ति कुलश्रेष्ठ: सृजन के विविध आयाम’ का लोकार्पण
दीप्ति जी के पात्र अपने वुजूद के लिए नहीं बल्कि जीवनमूल्यों और संस्कारों को बचाने के लिए संघर्ष करते हैं—शीन काफ़ निज़ाम
जाने-माने आलोचक डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय द्वारा सम्पादित आलोचना ग्रन्थ ‘कथाकार दीप्ति कुलश्रेष्ठ: सृजन के विविध आयाम’ के लोकार्पण का भव्य कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शाइर एवं चिंतक शीन काफ निज़ाम की अध्यक्षता में जोधपुर के होटल चंद्रा इम्पीरियल में संपन्न हुआ। निज़ाम ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आलोचना और आलोचना की बारीक़ियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, “दीप्ति जी के पात्र अपने वुजूद के लिए नहीं बल्कि जीवनमूल्यों और संस्कारों को बचाने के लिए संघर्ष करते हैं। ये पात्र लेखक के हाथ की कठपुतलियाँ नहीं हैं, वे जीवित पात्र हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हर रचनाकार और उसकी रचना को एक अच्छे पाठक की ज़रूरत होती है और दीप्ति जी को और उनके उपन्यासों ऐसे पाठक मिले हैं।”
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.सुनीता जाजोदिया, सचिव, तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी ने शिरकत करते हुआ कहा, “यदि समाज का व्यष्टिरूप रोगी और अस्वस्थ है, मनोविकार ग्रस्त और असंतुलित है तो स्वस्थ व सुंदर समष्टिरूप की आशा करना व्यर्थ है। दीप्ति जी का लेखन 'माइक्रो लेवल' के लिए है ताकि 'मैक्रो लेवल' की एक सुंदर तस्वीर प्राप्त हो सके।”
अपने सम्पादकीय उद्बोधन में डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय ने कहा, “दीप्तिजी अपने हर एक उपन्यास में एक स्पष्ट विज़न लेकर चलती हैं; विज़न – खुलकर जीने का, अन्याय के प्रतिकार का, अतीत की नकारात्मकता-निषेधात्मकता से बाहर आने का, वर्तमान को सँवारने का, एक दूसरे का सहायक बनने का, अपने साथियों की ख़ूबियों को बाहर लाने का। और इन सब के साथ वे जीवन-मूल्यों को स्थापित करने में रचनात्मक योग देती हैं।”
इससे पूर्व लोकार्पित कृति के परिचय पर अपना पत्र प्रस्तुत करते हुआ डॉ. रंजना उपाध्याय ने कहा, “यह कृति उनकी रचना-यात्रा का अब तक का मुक़म्मल दस्तावेज़ है। एक ऐसा दस्तावेज़ जिसमें न मालूम कितने पात्र हैं जो समय एवं समाज के बीच अपनी सकारात्मक-नकारात्मक छाप छोड़ते हुए चलते हैं और दीप्ति जी उन सब के साथ यात्रा करती हैं।” बतौर विशिष्ट अतिथि राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा ‘मीरां पुरस्कार’ से सम्मानित (2018) कथा-लेखिका दीप्ति कुलश्रेष्ठ ने भी संपादित पुस्तक के विषय में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन कवयित्री एवं गीतकार मधुर परिहार ने किया और अतिथियों का स्वागत प्रतिष्ठित कथाकार डॉ. शालिनी गोयल ने किया। कार्यक्रम में शहर के जाने-माने साहित्यकार जैसे हबीब कैफ़ी, डॉ. पद्मजा शर्मा, प्रगति गुप्ता, डॉ. सरोज कौशल, जागृति उपाध्याय, मीठेश निर्मोही, दिनेश सिंदल, हरिप्रकाश राठी, कालूराम परिहार, डॉ. हरिदास व्यास, ब्रजेश अंबर, इश्राकुल इस्लाम माहिर, कविता डागा, मनीषा डागा, नीतेश व्यास, अर्जुनलाल मीणा, रामेश्वर राठौड़, डॉ. वीणा चुण्डावत, संध्या शुक्ला, नीना छिब्बर, सत्येन्द्र छिब्बर, मोहित कुलश्रेष्ठ, रुचि कुलश्रेष्ठ, सोनल कुलश्रेष्ठ, विनोद गहलोत, रेणुका श्रीवास्तव सहित अनेक साहित्यकार मौजूद थे।
(डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय)