ज़िंदगी (जयदेव टोकसिया)
जयदेव टोकसियाज़िंदगी रंग बदलती है
एक पत्ते की भाँति
ऋतु के बदलते ही
बदलती है कांति
हरा पीला भूरा
है सब बस मौसम का जादू।
ज़िंदगी रंग बदलती है
एक पत्ते की भाँति
ख़ुशियाँ आ जाती हैं कभी
एक सावन की भाँति
जेठ आषाढ़ की सूखी कलियाँ
दिखती हैं सब लहराती
गर्म हवा के झोंके से
मुरझा जाती हैं
कभी अमीरी तो कभी
ग़रीबी आती है
तो कभी बसंत के फूलों- सी ख़ुशबू आती है
ज़िन्दगी रंग बदलती है
एक पत्ते की भाँति॥
1 टिप्पणियाँ
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बहुत अच्छा लिखा है।