मैं कहाँ से केशव लाऊँ

01-01-2022

मैं कहाँ से केशव लाऊँ

जयदेव टोकसिया (अंक: 196, जनवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

मर्यादा की बीच डगर में
शकुनि बैठा है अचरज में
किसका पासा किसे जिताऊँ।
मैं कहाँ से केशव लाऊँ।
 
निरन्तर होती द्यूतक्रीड़ा में
दुर्योधन से कपटी मन में
किसे दुशासन, कर्ण बताऊँ।
मैं कहाँ से केशव लाऊँ। 
 
समय चक्र के बिखरे वन में
चीरहरण से इस जीवन में
किसे छोड़कर किसे बचाऊँ।
मैं कहाँ से केशव लाऊँ। 
 
कृष्ण पक्ष के पखवाड़े में
जले दीप के अँधियारे में
शेष बचा अब जीवन पाऊँ।
मैं कहाँ से केशव लाऊँ।

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