यादें याद आती हैं . . .

01-05-2022

यादें याद आती हैं . . .

सरिता गोयल (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

करेंगे याद तो, हर बात याद आती है, 
खट्टी-मीठी हर मुलाक़ात याद आती है। 
रुला देती हैं कई यादें, 
तो कई अन्दर तक गुदगुदा जाती हैं। 
सोचा करते थे हम, बीती बातें, 
वक़्त के साथ दफ़न हो जाती हैं। 
लेकिन स्मृति की मधुर छटा, 
हर दिल में एहसास जगाती हैं। 
हम आगे को बढ़ जाते हैं, 
और छूट जाता है, सब पीछे को। 
पर यादों की ठंडी बूँदें, 
फिर से एक प्यास जगाती हैं। 
लाख करें हम कोशिश पर, 
यादें याद तो आती हैं। 
दर्द बढ़ाती हैं कुछ यादें, 
तो कुछ जीना सिखलाती हैं। 
धूल जमी गर यादों पर, 
धीरे-धीरे छट जाती है। 
पाकर मन से प्रकाश की किरणें, 
फिर से रोशन हो जाती हैं। 
कड़वे एहसासों में यादें, 
माधुर्य घोल-सा जाती हैं। 
लाख भूलने की कर कोशिश, 
यादें याद तो आती हैं। 

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