माँ
सरिता गोयलतुम्हीं हो सुमन, तुम्हीं हो सौरभ।
माँ तुम इस बग़िया का गौरव॥
तेरी कोख में हुए पल्लवित,
तूने ही आकार दिया,
अपने सुख को वार के हम पर,
सुंदर ये संसार दिया॥
चोट न लग जाए कहीं हमको,
क़दमों के नीचे हाथ दिया,
छलनी हुआ हाथ भी तेरा,
फिर भी ना अफ़सोस किया।
कभी डाँटकर, कभी प्यार से
जीवन का हर ज्ञान दिया,
और न्योछावर तुमने हम पर,
जीवन का आनंद किया।
हर सुख में साथ दिया तुमने,
दुख में सीने से लगा लिया,
भयभीत हुए हम जब भी माँ,
तूने आँचल में छिपा लिया।
आराम, चैन, सुख, नींद वारदी,
मुझको सुख से सुला दिया,
और कहूँ क्या ज़्यादा माँ,
जीवन भी तुमने वार दिया।
तेरे ऋण से उऋण हम
कभी नहीं हो पाएँगे,
तेरा क़र्ज़ है इतना माँ,
हम चुका नहीं पाएँगे।
तुम रहो स्वस्थ और सुखी सदा,
बस इतना ही चाहेंगे,
जितना साथ दिया है तुमने,
उतना साथ निभाएँगे।
ना धन, ना दौलत चाहें हम,
बस प्यार तुम्हारा बना रहे,
हम सबके मस्तक पर माँ,
आषीश तुम्हारा बना रहे।
यह दुआ ईश से करते हैं,
बस साथ तुम्हारा बना रहे,
चहल-पहल इस घर में माँ,
बस तुमसे ही बनी रहे।
जब भी जन्म दुबारा लूँ,
कोख तुम्हारी ही पाऊँ,
और अपने सत्कर्मों से,
माँ नाम मैं तेरा कर जाऊँ॥