तेरे आगोश में
अमित राज ‘अमित’तेरे आगोश में ऐसे सो जाऊँ मैं,
जैसे तू एक दीया और लो हूँ मैं।
तेरा ये मेरा रिश्ता कुछ है ऐसा,
तुम बहती हवा हो और पतंग हूँ मैं।
तुम और हम बँधे हैं एक डोरी से,
तुम प्रेम हो और विश्वास हूँ मैं।
हम एक दूसरे से जुदा कैसे हों,
तुम हर साँस हो और धड़कन हूँ मैं।
सबके होंठों पर बस यही है तराना,
तुम गीत हो और संगीत हूँ मैं।