टेलीविजन
मईनुदीन कोहरी ’नाचीज़’मैं हूँ बच्चो टेलीविजन।
मेरा कोई नहीं है सीजन॥
मैं चलता रहता हरदम।
भुला देता हूँ सारे ग़म॥
ख़बरें सुनो या नाटक देखो।
अपनी पसंद के चैनल देखो॥
कार्टून चाव से देखे बच्चे बूढ़े।
नेताओं के भाषण सच्चे झूठे॥
गीत - गज़ल- फ़िल्में बहस।
खोज ख़बर देखें तहस नहस॥
आओ देखें अजब ग़ज़ब की बातें।
मैं चलता, दिन देखूँ ना रातें॥