माँ की दुआएँ
मईनुदीन कोहरी ’नाचीज़’घर से सफ़र करने निकलना हो।
माँ को ज़ेहन में रख निकला करो॥
विघ्न कभी ना आएँगे ज़िन्दगी में।
माँ की दुआएँ ले विदा हुआ करो॥
माँ का साया गर हमको है नसीब।
सोते उठते माँ की ज़ियारत1 किया करो॥
माँ को धन दौलत की नहीं है तलब।
माँ ख़ुश है, माँ को माँ कह पुकारा करो॥
जन्नत तो ख़ुद माँ के क़दमों में है।
ये मौक़ा “नाचीज़” छोड़ा ना करो॥
-
ज़ियारत=किसी पवित्र व्यक्ति या स्थान का दर्शन, तीर्थ यात्रा